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Friday, February 3, 2012

अगाथा क्रिस्टी दिलों पर राज करता है एक नाम..


अगाथा..यही नाम था आज से दो साल पहले केंद्र सरकार में मंत्री पद की शपथ ले रही उस छोटे से कद की और किसी बच्ची की तरह दिखने वाली युवा लड़की का। वह वरिष्ठ राजनीतिज्ञ एवं केंद्रीय मंत्री रह चुके पी.ए. संगमा की बेटी थी। संगमा ने अपनी बेटी का नाम महान ब्रिटिश उपन्यासकार अगाथा क्रिस्टी के नाम पर रखा था, जिनका नाम गिनीज बुक में अब तक की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों के लेखक के रूप में दर्ज है। इसकी बानगी इस तथ्य से मिल जाती है कि उनकी लिखी किताबों की 400 करोड़ से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं और उनके उपन्यासों, नाटकों व कहानियों का दुनिया की 103 भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

अनुवाद के सूचकांक ‘इंडेक्स ट्रांसलेशनम’ के मुताबिक, दुनिया के किसी भी लेखक की रचनाओं का इतना अनुवाद नहीं हुआ, जितना अगाथा क्रिस्टी के लेखन का।

अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि दुनिया में संगमा अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं होंगे, जो अगाथा क्रिस्टी के लिए इतनी दीवानगी रखते हों कि बेटी का नाम भी उनके नाम पर रख दें। यह संख्या कई करोड़ में है। क्या कहेंगे उस लेखक के बारे में, जिसके लिखे नाटक ‘माउसट्रैप’ का मंचन लंदन के एम्बेसडर थिएटर में 25 नवंबर, 1952 को शुरू हुआ, जो 60 साल बाद आज भी जारी है और जिसका वहां पर अब तक 23 हजार बार मंचन हो चुका है। मौत के 25 साल बाद भी अगाथा लोगों के दिलोदिमाग में जिंदा हैं। लोग उन्हें ‘मर्डर मिस्ट्री क्वीन’ कहते हैं। उनके लेखन की खास बात यह कि यह साफ-सुथरा है, शालीन है। अगाथा ने कथानक में कहीं भी उत्तेजक दृश्य या संवाद नहीं रखे हैं, जैसा कि अधिकतर मर्डर मिस्ट्री लेखक करते हैं। अगाथा का लिखा हुआ इसलिए पढ़ा जाता है कि वह पढ़ने वाले के दिमाग को झिंझोड़ कर रख देता है, उसे मशक्कत करने पर मजबूर करता है। पाठक अंदाजा लगाता रह जाता है, लेकिन वहां तक नहीं पहुंच पाता, जहां तक अगाथा सोच चुकी होती है। अगाथा का लिखा बार-बार पढ़ो तो भी पुराना नहीं लगता। उनके दोनों मुख्य पात्र मिस मार्पल और हरक्यूल पोयरो इतने जीवंत हैं कि पाठक को अपने आसपास नजर आते हैं।

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी अगाथा मैरी क्लारिसा मिलर 15 सितंबर, 1890 को ब्रिटिश काउंटी डेवशनर के टॉर्क शहर में पैदा हुईं। उनके पिता फ्रेडरिक मिलर न्यूयॉर्क में स्टॉक ब्रोकर थे, लेकिन अगाथा ने अमेरिकी नागरिकता कभी नहीं चाही और न ही खुद को कभी अमेरिकी बताया। वे अंत तक ब्रिटिश नागरिक रहीं। अगाथा ने आत्मकथा में लिखा है कि उनका बचपन बहुत खुशहाल बीता। बहुत कम लोग जानते हैं कि अगाथा कभी स्कूल नहीं गईं। घर पर ही उनकी शिक्षा दीक्षा हुई और इसके स्तर से कोई समझौता नहीं किया गया। उनकी मां का मानना था कि बच्चों को आठ साल की उम्र तक पढ़ना लिखना नहीं सीखना चाहिए, लेकिन अगाथा ने चार साल की उम्र में ही पढ़ना सीख लिया था। उनके पिता कहानियों में पहेलियां बुझाकर उन्हें गणित सिखाया करते, वहीं पूरा परिवार सवाल जवाब वाले गेम्स खेलता। अगाथा बचपन में ही कहानियां गढ़ने लगी थीं। उन्होंने अपनी कल्पना में कई सहेलियां बना ली थीं, जो अलग-अलग स्वभाव की थीं। इसी तरह उनकी कल्पनाओं में एक स्कूल भी था। बड़ी होने के बाद भी ये कल्पनाएं उनके दिमाग में चलती रहीं और उनके उपन्यासों के पात्रों का आधार बनीं।

जीवन के हर मोड़ पर सफल रहने वाली अगाथा का पहला वैवाहिक जीवन उतना सफल नहीं रहा। उन्होंने प्रेम विवाह किया था। हालांकि उनका प्रेम प्रसंग भी बेहद अशांति भरा रहा, लेकिन हर बात को अनदेखा करते हुए 1914 में उन्होंने रॉयल एयरफोर्स के पायलट आर्चीबाल्ड क्रिस्टी का हाथ थाम लिया। 1926 में अगाथा को पता चला कि उनके पति का किसी से अफेयर चल रहा है। अगाथा यह धोखा सहन नहीं कर पाईं और इसके दो साल बाद अपनी बेटी रोजालिंड को लेकर आर्चीबाल्ड क्रिस्टी से अलग हो गईं, लेकिन पहले पति का नाम उन्होंने अपने नाम के साथ हमेशा लगाए रखा। यहां तक कि अपने दूसरे विवाह के बाद भी।

अगाथा के लेखन में खास बात यह है कि उनके अपने जीवन के हालात एवं घटनाओं की छवि उनके कथानकों एवं पात्रों में नजर आती है। उनकी रचनाओं में सेटिंग्स अक्सर ऐसी हैं, जिनसे वह खुद परिचित रहीं। जैसे, आर्चीबाल्ड से अलग होने के बाद अगाथा ने 1930 में मैक्स मैलोवन नाम के पुरातत्वशास्त्री से विवाह किया था। उनका दूसरा वैवाहिक जीवन बेहद सुखी रहा, खासकर शुरुआती दौर में, जब वे पति के साथ कई बार आर्कियोलॉजिकल साइट्स पर इराक, तुर्की व मिस्र जैसे देशों में गईं। उनके कई उपन्यास व कहानियां ऐसी हैं, जिनमें सेटिंग्स इन्हीं इलाकों की हैं। उनका बेहद चर्चित उपन्यास ‘मर्डर ऑन द ओरिएंट एक्सप्रेस’ तुर्की के एक होटल में बैठकर लिखा गया था।

इसी तरह, उनकी अधिकतर रचनाओं में हत्याएं जहर देकर अंजाम दी गई हैं। इसकी बड़ी वजह यह कि जीवन में दो बार अगाथा का वास्ता ऐसे रसायनों से पड़ा था। पहले विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने एक अस्पताल में नर्स की नौकरी की थी, जिसे वे अपनी ज़िन्दगी का सबसे संतोषप्रद काम बताती थीं। दूसरे विश्वयुद्ध में उन्होंने एक अस्पताल की फार्मेसी में नौकरी की। इस दौरान दवाओं एवं रसायनों के बारे में मिली जानकारी उनके लेखन कार्य में सहायक बनी। एक और उदाहरण चेशर काउंटी स्थित एबनी हॉल का है, जो उनके जीजा का घर था। वहां वे कई बार रहने जाती थीं। उनके दो कथानकों में सेटिंग्स उसी घर की हैं। अगाथा ने सिर्फ रहस्य रोमांच का लेखन किया हो, ऐसा नहीं है। उन्होंने छह रोमांटिक उपन्यास भी लिखे, लेकिन मैरी वेस्टमाकॉट के छद्म नाम से। अपना असली नाम उन्होंने सिर्फ मर्डर मिस्ट्रीज में ही इस्तेमाल किया। और यही वो नाम था जो दुनियाभर में चमका। वो नाम, जो अमेरिका के रहस्य लेखकों के सबसे बड़े सम्मान ‘ग्रैंड मास्टर अवॉर्ड’ का सबसे पहला हकदार बना। वो नाम, जिसकी लिखी अधिकतर रचनाओं पर फिल्में बन चुकी हैं और उनमें से कुछ पर तो एक बार नहीं, बल्कि कई कई बार फिल्में बनी हैं। वो नाम, जिसे उसकी साहित्यिक उपलिधयों के लिए कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर जैसे सम्मान से नवाजा गया.. बतौर लेखिका एक शानदार ज़िन्दगी जीने और लोकप्रियता के चरम पर पहुंचने के बाद 12 जनवरी, 1976 को अगाथा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

अहा! ज़िंदगी के जनवरी अंक से साभार

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