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Tuesday, July 17, 2012

जीवन के सत्यार्थ को पेश करता ‘अगस्त: ओसेज काउंटी’


जिंदगी के उतार चढ़ाव और क्षीण भावनाओं से भरी विकट परिस्थितियों के रास्ते से होकर गुजरता है अगस्त: ओसेज काउंटी। ट्रेसी लैट्स द्वारा रचित इस अंग्रेजी नाटक का मंचन गोवा में फिल्माया गया, जिसकी पटकथा में पाश्चत्य संस्कृति को बखूबी बयान किया है लेकिन इसका भारतीय सभ्यता के मूल चित्रण के बाद यह अपनी वास्तिवकता नहीं खोता और निरंतर जीवन के हर रंगीन और काले पलों की झलक उकेरता हुआ नजर आता है। द ट्रिब्यून ट्रस्ट के सौजन्य से यहां सेक्टर 18 के टैगोर थियेटर में लिलेट दूबे द्वारा निर्देशित किए गए इस नाटक में तमाम दिग्गज थियेटर कलाकारों ने हर चरित्र को बखूबी निभाया। 135 मिनट चले अगस्त: ओसेज काउंटी में एक वेस्टन परिवार के दुख को पात्रों ने यूं बयां किया है कि परिवार के सदस्य विकट परिस्थितियों के बावजूद खुशी की तलाश करते हैं, जिसे पात्रों ने बखूबी निभाया। थियेटर कलाकार किटू गिडवानी, नीता वशिष्टï, अमर तलवार, संध्या मृदुल, सुमित्रा पिल्लई, नंदीता दूबे और स्वयं लिलेट दूबे ने एक परिवार पर मुखिया के बिछडऩे के बाद टूटे दर्द और मार्मिकता को बयां किया है। वेस्टन परिवार सभ्यता और भावुकता के मिश्रण को सत्यार्थ करता है। लियोन परिवार का मुखिया है। वह पांच दिन से गायब है। उसके इंताजर में सारा परिवार दुखी भी है और बेहद भावुक भी है। लेकिन उसकी मौत की खबर सबको भीतर तक तोड़ देती है। कहानी शमशानघाट से मुड़ती है, जहां से लियोन के परिवार को रिश्तेदार ढांढस बंधाते हैं, साथ ही परिवार को कटीली आंखों से भी देखते हैं। क्योंकि तमाम बुराइयां इस परिवार का पीछा नहीं छोड़े हुए थी। लियोन पत्नी वोलेट अपने शौख अंदाज में पति की मौत को भूलाने का प्रयास करती है। नाटक में उसकी तीन बेटियों के चरित्र भी बेहद प्रेरक हैं जो परिवार के मुखिया के बिछडऩे के बाद हर परिस्थिति का सामना खुशी खुशी करते हुए करती हैं। वे मां से आहत भी हैं। (दैनिक ट्रिब्यून 15 जुलाई से साभार)

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