प्योतर चायकोवस्की रूस के ऐसे महान् संगीतकार हैं, जिनका नाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जैसे दुनिया भर के लोग रूसी कवि अलेक्सान्दर पूश्किन और रूसी लेखकों लेव तलस्तोय और फ़्योदर दस्तायेवस्की को जानते हैं, वैसे ही चायकोवस्की को भी जानते हैं। लेव तलस्तोय और प्योतर चायकोवस्की भी एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते थे। वे मित्र थे और अक्सर कला सम्बन्धी चर्चाएँ और बहसें किया करते थे। लेव तलस्तोय अक्सर चायकोवस्की की संगीत रचनाओं को अपने घर पर पियानो पर बजाया करते थे। तलस्तोय और चायकोवस्की के एक और मित्र थे —अन्तोन चेख़व। चेख़व और चायकोवस्की के बीच लम्बे समय तक पत्र-व्यवहार भी हुआ। अन्तोन चेख़व ने अपना एक कहानी-संग्रह भी उन्हें समर्पित किया था। कभी चेख़व ने चायकोवस्की के बारे में कहा था — मैं उनका इतना ज़्यादा सम्मान करता हूँ कि मैं उनके घर के दरवाज़े पर दिन और रात खड़ा रह सकता हूँ ताकि प्योतर चायकोवस्की की एक झलक पा सकूँ। अगर पूरी रूसी संस्कृति की बात की जाए तो मैं उन्हें लेव तलस्तोय के बाद दूसरे नम्बर पर रूसी कला और संस्कृति का प्रतिनिधि मानता हूँ।
19 वीं शताब्दी में चायकोवस्की के जीवनकाल में ही रूस के अन्य कलाकार, नाटककार, लेखक, अभिनेता, संगीतकार और कवि आदि भी प्योतर चायकोवस्की का बड़ा सम्मान करते थे। इसका कारण शायद यह है कि उनका संगीत श्रोता के मन की गहराइयों में पूरी तरह से प्रवेश कर जाता है और उनकी संगीत-रचना का श्रोता अपने आसपास की दुनिया को भूलकर उसी संगीत में डूब जाता है। व्यक्ति का अपना दुख, अपना सुख, अपनी पीड़ा, अपनी ख़ुशी सब चायकोवस्की के संगीत के साथ एक-मेक हो जाती हैं।
प्योतर चायकोवस्की का जन्म मई 1840 में हुआ था। उनके पिता एक खदान में इंजीनियर थे। जब चायकोवस्की सिर्फ़ पाँच वर्ष के ही थे तो उनकी माँ ने उन्हें पियानो बजाना सिखाना शुरू कर दिया और फिर पियानो ही उनका जीवन हो गया। लेकिन उनके पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे, इसलिए स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद उन्हें कानून की पढ़ाई करनी पड़ी। सेंट पीटर्सबर्ग में वे वकालत पढ़ने के साथ-साथ संगीत में भी डूबे रहे। कानून की शिक्षा पाने के बाद वे रूस के न्याय और कानून मंत्रालय में काम करने लगे।
परन्तु 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने कानून-मंत्रालय की अपनी नौकरी छोड़ दी और सेंट पीटर्सबर्ग के संगीत महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया। बस, उनके जीवन में आए इसी मोड़ ने उन्हें संगीतकार बना दिया। उन्होंने नया से नया संगीत रचना शुरू कर दिया। उनकी धुनें लोकप्रिय होने लगीं और लोग उन्हें पहचानने लगे। बस, इसी तरह धीरे-धीरे वे प्रसिद्ध होते चले गए।
प्योतर चायकोवस्की ने दस ओपेरा नाटिकाओं को संगीतबद्ध किया है। उन्होंने तीन बैले-नाटिकाओं का संगीत रचा है। सात सिम्फ़नियाँ रची हैं। उनकी और भी सैंकड़ों संगीत-रचनाएँ हैं। चायकोवस्की के संगीत पर आधारित नाटिकाएँ न केवल रूस और यूरोप में, बल्कि अमरीका, जापान और चीन जैसे देशों में भी बड़ी लोकप्रिय हैं। उन्हें संगीतकारों का संगीतकार कहा जाता है।
प्योतर चायकोवस्की ज़्यादातर सेंट पीटर्सबर्ग या मास्को में रहते थे या फिर वे विदेशों के दौरे करते रहते थे। लेकिन मास्को से सौ किलोमीटर दूर क्लीन नगर में उनका अपना घर था, जहाँ पर वे एकान्त में संगीत-रचना किया करते थे। इसी क्लीन नगर में आज चायकोवस्की संग्रहालय बना हुआ है। उस घर में जहाँ वे रहा करते थे, आज भी सब कुछ वैसा का वैसा है, जैसा उनके जीवनकाल में था। सारी दुनिया के संगीतप्रेमी चायकोवस्की से मिलने और उनका घर देखने के लिए आज भी क्लीन पहुँचते हैं।
इस घर में आज चायकोवस्की नहीं रहते, लेकिन जैसे उनकी आत्मा इस घर में बसी हुई है। हर पाँच साल में एक बार मास्को में प्योतर चायकोवस्की संगीत-प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसमें दुनिया भर के युवा और किशोर संगीतकार भाग लेते हैं।
सन् 2015 में प्योतर चायकोवस्की की 175 वीं जयन्ती मनाई जाएगी। दुनिया भर के संगीत-प्रेमी यह चाहते हैं कि सन् 2015 के साल को 'प्योतर चायकोवस्की वर्ष' घोषित कर दिया जाए।
http://hindi.ruvr.ru/2012_07_22/82490792/ से साभार
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