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Tuesday, December 27, 2011

राजनीति और मीडिया ने अपनी प्रतिष्ठा खोई है - इप्टा



भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के 13 वें राष्ट्रीय सम्मेलन और सांस्कृतिक महोत्सव का दूसरा दिन नुक्कड़ नाटकों और बहसों के नाम रहा। शाम को विविध भाषी रंगमंच की छटा शहर के अलग-अलग रंगमंचों पर बिखरी।

सुबह नेहरू हाउस के शरीफ अहमद मुक्तांगन में इप्टा जेएनयू नई दिल्ली के साथियों ने नुक्कड़ नाटक ‘खतरा’ खेला। यह नाटक बयान करता है कि किस प्रकार शासन और प्रशासन अपनी नीतियों और हरकतों से संविधान में दिए अधिकारों की अवहेलना कर रहा है। इसके पहले सुबह के सत्र की शुरुआत झारखंड इप्टा के जन गीत से हुई। प्रतिनिधि सत्र का संचालन राकेश ने किया। मंच पर महासचिव जितेंद्र रघुवंशी , रणवीर सिंह, प्रसन्ना, शमीम फैजी और हिमांशु राय ने। इस सत्र में इप्टा की विभिन्न इकाइयों के प्रतिनिधियों- प्रमुख वक्ताओं में के.प्रताप रेड्डी(आंध्र प्रदेश), विकास (दिल्ली), एम. अधि रमन (पुडुचेरी), शैलेंद्र (झारखंड) और अमिताभ चक्रवर्ती (पश्चिम बंगाल) आदि ने अपनी बातें रखीं। दोपहर के सत्र में तीन राष्ट्रीय संगोष्ठी अलग-अलग विषयों पर हुई। रंगमंच विषय पर प्रसन्ना, रणवीर सिंह, राकेश, डॉ. जावेद अख्तर और प्रभाकर चौबे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि नाटक अभिनय प्रधान है और फिल्में दृश्य प्रधान। नुक्कड़ नाटक अगर नहीं हो रहे हैं तो सिर्फ इसलिए क्योंकि हम कर नहीं रहे हैं। अगर हम दर्शकों के बीच नुक्कड़ नाटक लेकर जाएंगे तो लोग जरूर देखेंगे। फिल्म एवं मीडिया पर हुई संगोष्ठी में जितेंद्र रघुवंशी, के. प्रताप रेड्डी, सुधीर, अजय आठले, विनीत तिवारी व समीक बंदोपाध्याय ने कहा कि आज के समय में राजनीति और मीडिया ने अपनी प्रतिष्ठा खोई है। ऐसे समय में जरूरत समानांतर मीडिया खड़ा करने की है, जो लोगों के संघर्ष के साथ खड़े हो सके। नृत्य एवं संगीत विषय पर हुई संगोष्ठी में सीताराम सिंह (बिहार), उपासना तिवारी, मणिमय मुखर्जी, आशुतोष मिश्रा, मधुर दामले, अतीक राम दास और बेदा राकेश ने इस बात पर जोर दिया कि संगीत एवं नृत्य की विधा को मात्र शास्त्रीय विधानों से निकालकर समस्यामूलक बातों को नृत्य एवं संगीत के माध्यम से आम जन की समझ के लायक बनाकर प्रस्तुत करे। गोष्ठी के दौरान तमिलनाडु से आई वनिला ने बताया कि उनके राज्य में इप्टा के अंतर्गत महिलाओं की तादाद पुरुषों से कहीं ज्यादा है। तमिलनाडु की कुल 12 इकाइयों में 6 हजार सदस्य हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या 5 हजार के करीब है। गोष्ठी में उन्होंने रंगमंच की समस्याओं के कारण कलाकारों को हो रही दिक्कतों का खुलासा करते हुए सुझाव दिया कि इप्टा के अंदर संचार को और भी बेहतर बनाने की जरूरत है। शाम को विभिन्न भाषाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।



भाषाई रंगमंच की छटा बिखेरी, वाहवाही मिली छाया नाटक को

मंगलवार की शहर इस्पात नगरी के विभिन्न हिस्सों में भाषाई रंगमंच की छटा बिखरी। हबीब तनवीर कला मंच (नेहरू हाउस) में मध्यप्रदेश इप्टा का छाया नाटक (शैडो प्ले) दर्शकों ने काफी पसंद किया। इसमें परदे पर उभरती आकृतियों के माध्यम से अन्याय के खिलाफ स्त्री की एकजुटता को दर्शाया गया। राजस्थान इप्टा ने जन गीत पेश किए। इसके बाद ‘तमाशा’ में गोपीचंद का गायन और उरई इप्टा ने बुंदेली लोक गीत प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश इप्टा ने जन गीत पेश किए।

महाराष्ट्र धूलिया से आए इप्टा के कलाकारों ने चक्की पीसती महिलाओं के लोकगीतों की प्रस्तुति दी। जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-4 में ओडीशा इप्टा का कार्यक्रम नहीं हो पाया। कालीबाड़ी सेक्टर-6 में पश्चिम बंगाल इप्टा के कलाकारों ने रंग जमाया। रविंद्र संगीत के बाद भूपेन हजारिका को श्रद्धांजलि देते हुए समूह गीत प्रस्तुत किए गए। गोकुल दास बाऊल का बाउल नृत्य, अमित पाल का मूक अभिनय, निर्देशक गौतम मुखर्जी का नाटक ‘कैनो ना मानुष’ यानि क्यों कि हम मनुष्य हैं की प्रस्तुति हुई।

नवेंदु राय और अतिक्रम दास के निर्देशन में गीत प्रस्तुत किए गए। गुरुनानक हायर सेकंडरी स्कूल सेक्टर-6 में ‘एक शाम पंजाब के नाम’ में पंजाब व हिमाचल इप्टा से आए कलाकारों की टीम ने रंग जमाया। इसमें शहीद भगत सिंह पर आधारित ओपेरा व नाटक ‘जिप्सी’, पटियाला से 30 महिलाओं का मालवा गिद्दा , साथ ही भांगड़ा व पंजाबी लोक संगीत भी हुआ। मुख्य अतिथि बीएसपी के ईडी फाइनेंस एसके गुलाटी थे व अध्यक्षता गुरुनानक स्कूल के चेयरमैन तारा सिंह ने की।

आयोजन में पंजाबी पंचशील समाज, गुरु गोविंद सिंह स्टडी सर्किल, नौजवान सिख्र सभा, हिमाचल कल्चरल एसोसिएशन, सिख्र यूथ फोरम और समस्त पंजाबी कलाकार संघ दुर्ग-भिलाई का सहयोग रहा। इसी तरह भिलाई क्लब में झारखंड इप्टा ने छाउ नृत्य व अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। मंगलवार की देर रात कैंप व खुर्सीपार में तेलुगु नाटक का मंचन किया गया।

(दैनिक भारूकर से साभार)

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